Alizarin, Madder, Parijaat, Natural Dye, Bagh Print, Ajrakh, Puru Print, Hand block print, Dabu

Thursday, 5 October 2017

Natural Alizarin from Madder Roots

Madder Root Dye in Block Printing


Madder root is one of the rich sources of natural alizarin and purpurin which gives red and yellow color with alkalis and ethanol respectively.  Alizarin red is one of the most valuable natural dyes found in morinda tinctoria (Al Tree) roots but now a day not available easily. Madder roots though contain alizarin red but with the presence of purpurin or some other content it faded away other printed color on the fabric. After doing multiple experiments with madder roots to get natural red color in traditional hand block printing we never got expected result. In traditional hand block printing there are mainly 2 colors red and black is possible. Black is made from fermentation of iron rust & jaggery powder and red is obtained from alizarin (Today synthetic alizarin is used in the process) where alum is printed. Alizarin not only gives red color but also increase the fastness of black color printed on the fabric.


We used madder roots many times to get red where alum is printed in traditional hand block printing process but after multiple attempts we got little red in place of alum was printed but at the same time black color printed on the fabric got fade away in the process.


With conducive research undertaken by EcoFab with the operational help of Tapapur printer brothers’ Shri Pawan Jhariya and Banwari Jhariya  now we are able to extract alizarin red color from the madder roots using combination with different natural dye. Using this combination of 100% natural and herbal dyes now we are not only getting deep red where alum is printed but it also increased the fastness of black color too.





Maheshwari Silk Cotton Saree dyed with Natural Alizarin

 प्राकृतिक अलिज़रिन से रंगी हुई माहेश्वरी सिल्क कॉटन साड़ी

मंजिष्ठ की जड़ का ठप्पा छपाई में प्रयोग 


मंजिष्ठा की जड़ में अलिज़रिन और पर्पुरिन नामक प्राकृतिक तत्व होते हैं जो क्षार और इथेनॉल के साथ क्रमशः लाल और पीला रंग देते हैं| प्राकृतिक रूप से अलिज़रिन का मुख्य स्त्रोत “आल के पेड़” की जड़ हैं किन्तु अब यह पेड़ आसानी से उपलब्ध नहीं होता हैं| मंजिष्ठा की जड़ में अलिज़रिन होता हैं जिससे लाल रंग आता हैं किन्तु पर्पुरिन या किसी अन्य तत्व के कारण कपड़े पर छापे गए अन्य रंग धुंधले हो जाते हैं| पारंपरिक ठप्पा छपाई में मंजिष्ट से लाल रंग पाने के लिए कई बार प्रयत्न किये गए पर कभी भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिला| पारंपरिक ठप्पा छपाई में केवल २ रंग लाल और काला ही संभव हैं| लोहे की जंग और गुड़ को सड़ाकर कला रंग प्राप्त किया जाता है और लाल रंग के फिटकरी की छपाई की जाती हैं जिसे अलिज़रिन (आजकल केमिकल अलिज़रिन का उपयोग होता हैं) से रंगने के बाद जहाँ पर फिटकरी की छपाई की गयी थी लाल रंग आ जाता हैं| अलिज़रिन न केवल लाल रंग देता हैं अपितु काले रंग को भी पक्का करता हैं|

कई बार मंजिष्ठा का उपयोग पारंपरिक ठप्पा छपाई में करने पर हमें फिटकरी से छपे गए स्थान पर हल्का लाल रंग मिला और दूसरा दुष्परिणाम यह मिला की छापा गया काला रंग भी बहुत हल्का हो गया|


कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार मंजिष्ठा के साथ कुछ और प्राकृतिक रंग के मिश्रण करने से हमें प्राकृतिक रूप से अलिज़रिन लाल रंग की प्राप्ति हो गयी| एकोफेब ने तारापुर के छीपा भाइयो श्री बनवारी झरिया और पवन झरिया के साथ मिलकर यह सफल प्रयोग संपन्न किया| अब हम १००% प्राकृतिक रंग के मिश्रण से प्राकृतिक अलिज़रिन लाल रंग पाने में सफल हो गए हैं जिससे न केवल गहरा लाल रंग प्राप्त हो रहा हैं बल्कि काला रंग भी पक्का हो रहा हैं| 

2 comments:

  1. वाह! देखा है,वाकई सुंदर रंग हैं...

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